लोकसभा चुनाव 2019 : शेहला को भी मिल सकता है मौका…..

आगामी लोकसभा चुनाव  में वामपंथी दलों (Left Parties) का फोकस दूसरी पंक्ति का नेतृत्व उभारने पर भी होगा। वामदलों में बुजुर्ग नेताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है और उस हिसाब से युवा नेतृत्व नहीं उभर पा रहा है। इसलिए दलों की रणनीति यह है कि इस चुनाव में नौजवानों को आगे टिकट देकर चुनाव लड़ाया जाए।

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माकपा और भाकपा में ज्यादातर नेता ऐसे हैं जो 70 साल की उम्र पार कर चुके हैं, या इसके करीब पहुंच रहे हैं। जबकि 35-55 साल की उम्र वर्ग के उभरते नेताओं की भारी कमी है। हाल यह है कि 17 सदस्यीय माकपा पोलित ब्यूरो में सबसे कम उम्र के नेता मोहम्मद सलीम हैं, जिनकी उम्र 61 साल है। जबकि सबसे ज्यादा उम्र के रामचंद्र पिल्लई हैं, जो 80 साल के हैं। वैसे, वाम राजनीति में सबसे वयोवृद्ध नेता वी.एस. अच्युतानंदन हैं जो अभी भी पार्टी में सक्रिय हैं। वामदलों को अब महसूस हो रहा है कि युवा नेताओं को आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है अन्यथा आगे यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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माकपा के महासचिव और वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) कहते हैं, ‘युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि दूसरी पंक्ति का मजूबत नेतृत्व खड़ा हो सके। आगामी लोकसभा चुनाव में हम ऐसे नेताओं को आगे करेंगे, ताकि भविष्य के लिए नया नेतृत्व तैयार हो सके।’ संभावना है कि इसमें कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) और शेहला रशीद (Shehla Rashid) जैसे नौजवानों को मौका मिल सकता है। चर्चा है कि भाकपा कन्हैया कुमार को बिहार के बेगुसराय से चुनाव में उतार सकती है।

बंगाल से माकपा सांसद मोहम्मद सलीम का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास युवा नेताओं की कमी है। पार्टी में काफी युवा हैं, लेकिन इसे हमेशा चुनाव लड़ने से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए यह खालीपन नजर आता है। हालांकि वे कहते हैं कि इस बार हम युवाओं को बड़े पैमाने पर चुनाव में आगे करने पर विचार कर रहे हैं।

इनपर लगा सकते हैं दांव

कन्हैया कुमार 32 साल (बिहार)

कन्हैया कुमार भाकपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय छात्र परिषद (एआईएसएफ) के नेता हैं। वह 2015 में जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) छात्रसंघ के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए थे। फरवरी 2016 में जेएनयू में संसद पर हमले के दोषी कश्मीरी अलगाववादी मोहम्मद अफजल गुरु को 2001 में भारतीय फांसी के खिलाफ एक छात्र रैली में राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के आरोप में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। जेएनयू में जांच रिपोर्ट के आधार पर कन्हैया कुमार और सात अन्य छात्रों को अकादमिक तौर पर वंचित कर दिया गया।

शेहला रशीद 31 साल (जम्मू- कश्मीर)

शेहला राशिद शोरा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शोध छात्र है। वह 2015-16 में जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष थी। वह ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा) की सदस्य हैं। शोरा जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को फरवरी 2016 में जेएनयू में विवादास्पद नारे लगाने के मामले में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद सुर्खियों में आईं। वह कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में मुखर है, विशेष रूप से नाबालिग प्रदर्शनकारियों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए 2010 से सक्रिय हैं। वह उस समय कश्मीर में युवा नेतृत्व कार्यक्रम आयोजित करने का हिस्सा थी। उन्होंने ऑक्युपाई यूजीसी आंदोलन और फेलोशिप के लिए यूजीसी में धरने का नेतृत्व करने में अग्रणी भूमिका निभाई।

टिकेंद्र सिंह पंवार 41 साल (हिमाचल प्रदेश)

टिकेंद्र सिंह पंवार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। वह वर्तमान में शिमला नगर निगम के उप मेयर हैं।

शत्रुप घोष 30 साल (पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हैं।

वामदलों के प्रमुख नेता एवं उनकी उम्र

माकपा

प्रकाश करात 70 साल
बृंदा करात 71 साल
सुभाषिनी अली 71 साल
विमान बसु 74 साल
पिनराई विजयन 73 साल
माणिक सरकार 70 साल
भाकपा

सुधाकर रेड्डी 76 साल
डी. राजा 69 साल

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