कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार (1 जुलाई) को संसद सत्र के बीच विवादित बयान देकर हिंदू समाज में आक्रोश पैदा कर दिया है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपने संबोधन में राहुल ने कहा कि “ये देश अहिंसा का देश है, डर का देश नहीं है। हमारे सारे महापुरुषों ने अहिंसा की बात की, डर मिटाने की बात की– डरो मत, डराओ मत। शिवजी भी यही कहते हैं, अभयमुद्रा दिखाते हैं। अहिंसा की बात करते हैं। त्रिशूल को जमीन में गाड़ देते हैं। और जो लोग खुद को हिन्दू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा, नफरत-नफरत-नफरत, असत्य-असत्य-असत्य करते हैं।”
राहुल यही नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि पिछले 10 वर्षों में अल्पसंख्यकों पर अन्याय बहुत तेज़ी से बढ़े हैं। भाजपा ने मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा और अत्याचार किया है, सिखों और क्रिश्चन्स के खिलाफ नफ़रत फैलाई है – हर अल्पसंख्यक वर्ग पर आक्रमण किया है। अल्पसंख्यक हर क्षेत्र में हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व करते हैं, नाम रौशन करते हैं – वो चट्टान की तरह भारत के साथ खड़े रहने वाले देशभक्त हैं।
उन्होंने खुद को सही ठहराते हुए इस बारे में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट भी किया. जिस पर दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। एक ओर जहां इंडी गठबंधन के समर्थक इसको समर्थन दे रहे हैं वहीं हिंदूवादी लोगों का इस पर कड़ा रूख है।
लोकसभा में राहुल गांधी के हिंदुओं पर नफरती बयान देने के बाद भाजपा सांसदों ने हंगामा कर दिया। नेता प्रतिपक्ष की यह बात सुन प्रधानमंत्री मोदी अचानक अपनी सीट से उठे और राहुल को करारा जवाब देते हुए कहा, ”पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना गंभीर विषय है।” वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राहुल ने हिंदुओं का अपमान किया है।
ऐसे में अब देखना यह होगा कि क्या उनके इस हिंदू विरोधी बयान ने एक बार फिर उनकी हिंदुओं के प्रति घृणा को उजागर कर दिया है और क्या वह केवल वोट बैंक के लिए ही हिंदुओं का इस्तेमाल करते हैं ?