संकटमोचन हनुमान अष्टक एक प्रमुख भक्तिमय स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है। यह स्तोत्र भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करता है और विभिन्न संकटों से मुक्ति पाने के लिए इसका पाठ किया जाता है। यह हनुमान जी की शक्ति, साहस, और समर्पण को दर्शाता है।
संकटमोचन हनुमान अष्टक
बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ।।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।।
अर्थ: इस श्लोक में हनुमान जी की बाल्यावस्था में की गई अद्भुत लीला और उनके संकटमोचन स्वरूप का वर्णन है जिसमे उन्होंने सूर्य को फल समझ कर निगल लिया था और समस्त लोकों मैं अँधेरा छा गया था और देवताओं के अनुनय विनय के बाद ही सूर्य को वापस निकला था। उनकी इस लीला ने यह सिद्ध कर दिया कि वे किसी भी प्रकार के संकट को दूर करने में सक्षम हैं और इस कारण उन्हें ‘संकटमोचन’ कहा जाता है।
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो ।।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के सोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।।
अर्थ: इस श्लोक में हनुमान जी की महानता और उनकी भक्ति को दर्शाया गया है। हनुमान जी ने सुग्रीव को बालि के भय से मुक्त कराकर उनकी सहायता की और श्रीराम की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। हनुमान जी के इस अद्भुत सेवा भाव और संकट निवारण के कारण उनका नाम ‘संकटमोचन’ पड़ा, जिसे पूरे जगत में जाना जाता है।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत न बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।।
अर्थ: इस श्लोक में हनुमान जी की दृढ़ संकल्प और भक्ति का वर्णन किया गया है। जब सीता माता को रावण ने हरण कर लिया था, तो हनुमान जी अंगद के साथ उनकी खोज में निकले। उन्होंने यह प्रतिज्ञा की कि जब तक वे सीता माता की सही खबर नहीं लाएंगे, वे जीवित वापस नहीं आएंगे। इस प्रतिज्ञा और भक्ति की वजह से उन्होंने समुद्र पार करके लंका में प्रवेश किया और सीता माता का पता लगाया। उनके इस अद्वितीय प्रयास से सभी वानरों के प्राण बच गए और वे वापस प्रभु श्रीराम के पास लौट सके। हनुमान जी का यह साहस और निष्ठा उन्हें ‘संकटमोचन’ बनाता है, जो सभी संकटों को हरने वाले हैं।
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मारो ।।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।।
अर्थ: इस श्लोक में हनुमान जी की वीरता और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। रावण के द्वारा सीता माता को कष्ट दिए जाने पर हनुमान जी ने राक्षसियों को डराया और उनके दु:ख को दूर किया। उन्होंने महान राक्षसों का वध किया और जब सीता माता अशोक वाटिका में आत्मदाह करने का विचार कर रही थीं, तब हनुमान जी ने उन्हें श्रीराम की अंगूठी देकर उनके दु:ख को दूर किया। हनुमान जी के इस अद्भुत कार्यों के कारण उन्हें ‘संकटमोचन’ कहा जाता है, जो सभी संकटों का निवारण करने वाले हैं।
बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो ।।
आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।।
अर्थ: यह श्लोक हनुमान जी की वीरता, भक्ति और निष्ठा को दर्शाता है। जब लक्ष्मण जी रावण के पुत्र मेघनाद के बाण से गंभीर रूप से घायल हो गए, तो हनुमान जी ने वैद्य सुषेण को लाकर और द्रोणगिरि पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की। हनुमान जी का यह अद्वितीय कार्य उन्हें ‘संकटमोचन’ के नाम से विख्यात बनाता है, जो सभी संकटों को हरने वाले हैं।
रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो ।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो ।।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।।
अर्थ: यह श्लोक हनुमान जी के अद्वितीय साहस और उनकी संकटमोचन क्षमता को दर्शाता है। जब रावण ने युद्ध में जादू का प्रयोग कर नाग पाश से श्रीराम और उनकी सेना को बांध दिया, तो सभी योद्धा संकटग्रस्त हो गए। हनुमान जी ने तत्काल गरुड़ देव को बुलाकर नाग पाश का बंधन काटकर सभी का भय दूर किया। हनुमान जी का यह कार्य उन्हें ‘संकटमोचन’ के रूप में प्रसिद्ध करता है, जो सभी संकटों का निवारण करने वाले हैं।
बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिन्हीं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।।
अर्थ: इस श्लोक में हनुमान जी की वीरता और उनकी संकटमोचन शक्ति का वर्णन किया गया है। जब भी कोई बड़ा संकट आता है, हनुमान जी अपनी अद्वितीय शक्ति और भक्ति से उस संकट को दूर करते हैं। जैसे जब अहिरावण जब प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी को उठाकर पटल लोक मैं उनकी बलि देने के ले गया था तो उन्होंने अहिरावण और उसकी समस्त सेना का संहार कर दिया थाइसी कारण उन्हें ‘संकटमोचन’ कहा जाता है, और उनकी महानता संपूर्ण जगत में प्रसिद्ध है।
काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो ।।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।।
अर्थ: इस श्लोक में हनुमान जी की महानता और उनकी शक्ति का बखान किया गया है। हनुमान जी को संकटमोचन के रूप में मान्यता दी गई है, क्योंकि वे किसी भी संकट को दूर करने में सक्षम हैं। श्लोक में यह भी कहा गया है कि हनुमान जी ने देवताओं के भी बड़े-बड़े कार्य किए हैं, और उनसे कोई भी संकट ऐसा नहीं है जो दूर नहीं हो सकता। इसीलिए, भक्तों की प्रार्थना होती है कि हनुमान जी उनके सभी संकटों को शीघ्रता से दूर करें।
इसलिए हे हनुमान जी इस जग में कौन नहीं जानता कि आप ही का नाम ‘संकटमोचन’ है।
💡 यह भी देखें: हनुमान बाहुक पाठ (अर्थ सहित हिंदी मैं)
हनुमान अष्टक पढ़ने के लाभ: हनुमान अष्टक पढ़ने के कई लाभ हैं, जो शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से लाभदायक हो सकते हैं। हनुमान अष्टक हनुमान जी की स्तुति में रचित एक प्रार्थना है, जो उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गाई जाती है। इसके फायदे निम्नलिखित हो सकते हैं:
- संकटों का निवारण: हनुमान अष्टक पढ़ने से जीवन के विभिन्न संकटों और समस्याओं का निवारण होता है। हनुमान जी को ‘संकटमोचन’ कहा जाता है, और उनकी कृपा से जीवन के कठिन समय में सहारा मिलता है।
- मानसिक शांति: नियमित रूप से हनुमान अष्टक का पाठ करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। यह मन को शांत और स्थिर रखता है, और तनाव व चिंता को कम करता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: हनुमान जी की स्तुति करने से शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। इससे ऊर्जा और शक्ति की प्राप्ति होती है, और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: हनुमान अष्टक का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह भक्ति और ध्यान को बढ़ावा देता है, और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
- आत्मविश्वास और साहस: हनुमान जी की उपासना करने से आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है। यह हमें कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति और धैर्य प्रदान करता है।
- सकारात्मकता का संचार: हनुमान अष्टक पढ़ने से जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। यह नकारात्मक विचारों को दूर करता है और जीवन में नई ऊर्जा और उमंग भरता है।
- सभी प्रकार के भय का नाश: हनुमान जी को भयभंजन भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे सभी प्रकार के भय को नष्ट करते हैं। हनुमान अष्टक का पाठ करने से भय और आशंका से मुक्ति मिलती है।
💡 यह भी देखें: शिव चालीसा: भगवान शिव का आशीर्वाद पाने का सरल उपाय, (अर्थ सहित हिंदी मैं)
हनुमान अष्टक का नियमित पाठ करने से हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है।
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