समाज मैं फैली कुरूतियों (condemnable practices) को दूर करने का प्रयास हर दिशा से हो और समाज का हर व्यक्ति इसमें बराबर की भागीदारी करे तो निश्चित ही हमारे समाज मैं फैली कुरूतियों से निपटने मैं न सिर्फ सफलता मिलेगी बल्कि समाज के उत्थान मैं लिया गया ये कदम एक मील का पत्थर साबित होगा.
वैसे तो हमारा समाज समय के साथ बहुत बदलाव करता आया है और न सिर्फ देश मैं अपितु विदेशों मैं भी जाट समाज के बच्चों ने विभिन्न क्षेत्रों मैं अपने समाज का डंका बजवाया है. बात शिक्षा की हो, खेल की, बिजनेस की, राजनीति की या फिर बात हो सरकारी और प्राइवेट नौकरियों की आपको जाट हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते नजर आएंगे, फिर चाहे इंजीनियरिंग हो या मैनेजमेंट, मेडिकल सर्विसेज या सिविल सर्विसेज, जुडिशरी हो या फिर देश सेवा के लिए प्राणो का बलदान करने से न चूकने वाले वीर सैनिकों की, जाट हर जगह अपनी प्रतिभा का लोहा दिखता नजर आएगा.
परन्तु, विकास के पथ पर आगे बढ़ चले जाट समाज मैं आज भी कुछ कुरीतियां देखने को मिल रही हैं जिसका समाधान बहुत आवशयक है और इसके लिए सबका साथ मैं आना बहुत जरूरी है
महाराज सूरजमल स्मृति न्यास अपने जाट समाज मैं व्याप्त इन कुरीतियों (condemnable practices) की समाप्ति के लिए प्रयास जारी रखेगा और आशा है की समस्त सरदारी इस उद्देश्य मैं अपना अमूल्य योगदान अवश्य देंगे.
किसी भी समाज उत्थान के लिए जरूरी है कि समाज के समर्थवान व्यक्तियों मैं समाज के कार्यों के लिए सहयोग की भावना जागृत होना तभी एक समाज अपने गौरवमयी इतिहास कि नींव पर एक मजबूत किले कि संरचना कर सकता है जिसके परिणाम स्वरुप भावी पीड़ी के लिए एक सही पथ का सृजन हो पाता है.
इसके लिए जरूरी है कि समाज के सम्मानित व्यक्तियों को निम्न बिंदुओं पर ध्यान देते हुए समाज की कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जाये.
संस्कृति और परंपरा का संरक्षण:
आर्थिक विकास और रोजगार:
समाज को शिक्षित बनाना:
सामाजिक संबंध और सहयोग:
राजनीति में भागीदारी:
मीडिया का प्रभाव:
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