न्यूज डेस्क, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 और 22 अगस्त को पोलैंड जाएंगे, और दो दिन बाद, 23 अगस्त को युक्रेन की यात्रा करेंगे। यह घोषणा मंत्री विदेश मामलों के पश्चिमी सचिव तन्मय लाल ने की थी। पोलैंड की यात्रा एक भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा 45 वर्षों में पहली बार होगी और यह दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक संबंधों के स्थापना के 70वें सालगिरह को चिह्नित करेगी। यह भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से युक्रेन की यात्रा भी 30 वर्षों से अधिक का समय होगा। “इस यात्रा से हाल के उच्च स्तर की बातचीतों को और भी मजबूत किया जाएगा,” लाल ने कहा। इन दोनों राष्ट्रों की यात्रा को उनके संबंधित नेताओं, पोलैंड के प्रधानमंत्री डॉनाल्ड टस्क और युक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की द्वारा भेजे गए आमंत्रणों ने प्रोत्साहित किया है।
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष पर वैश्विक ध्यान केंद्रित है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
पोलैंड और यूक्रेन के साथ भारत के संबंध हमेशा से ही अच्छे रहे हैं। प्रधानमंत्री की यह यात्रा इन देशों के साथ संबंधों को और भी मजबूती देने का एक प्रयास है। पोलैंड में, प्रधानमंत्री मोदी कई महत्वपूर्ण बैठकों में भाग लेंगे। इसमें व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी चर्चा होगी। पोलैंड के प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी उनकी महत्वपूर्ण बैठकों की योजना है।
यूक्रेन की यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति और अन्य शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष के बीच, यह यात्रा विशेष महत्व रखती है। प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान शांति और स्थिरता की अपील करेंगे। यह देखना होगा कि यूक्रेन के साथ भारत के संबंध इस यात्रा के बाद कैसे बदलते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगी। भारत हमेशा से ही शांति और विकास के पक्ष में रहा है, और यह यात्रा उस दिशा में एक और कदम है। पोलैंड और यूक्रेन दोनों ही देशों में भारतीय समुदाय की अच्छी उपस्थिति है, और उनकी समस्याओं और मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
यह यात्रा न केवल भारत और इन देशों के बीच के संबंधों को और मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की स्थिति को और भी सुदृढ़ करेगी। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इन देशों के साथ सहयोग के नए आयाम खोलेगी और वैश्विक स्थिरता में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करेगी।
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