एक बार फिर देश मैं ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर तीखी बहस छिड़ गयी है, पूर्व मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी एक देश एक चुनाव को लागू करने का वादा किया था और आखिरकार मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को आज बुधवार 18 सितंबर को मंजूरी दे दी है।
इसके साथ ही देश मैं इसके समर्थन और विरोध मैं विभिन्न राजनैतिक पार्टियां अपना अपना मत दे रही रही हैं। हालाँकि वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को कमेटी बनाई गई थी। जिसमे में गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, जाने माने वकील हरीश साल्वे, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पॉलिटिकल साइंटिस्ट सुभाष कश्यप, पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गया था।
कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी जिसे आज मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाने का सुझाव दिया है। संसद के शीतकालीन सत्र में इसपर बिल पेश किया जा सकता है।
रिपोर्ट कैसे तैयार की गयी
कमेटी के द्वारा इसके लिए देश की तकरीबन 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया गया। इनमें से 32 पार्टियों ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का समर्थन किया है, वहीं 15 दलों ने इसका जबरदस्त विरोध किया है जबकि 15 ऐसी पार्टियां भी रहीं जो तटस्थ रहीं। 191 दिन की रिसर्च के बाद कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमेटी की रिपोर्ट 18 हजार 626 पेज की है।
किन देशों का लिया गया उदहारण
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए कई देशों के संविधान का एनालिसिस किया गया जिसमे स्वीडन, जापान, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम, फिलीपिंस, इंडोनेशिया के इलेक्शन प्रोसेस की स्टडी की।
कौन समर्थन मैं, कौन विरोध मैं
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए जहाँ भाजपा व इसके सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड, तेलुगू देशम पार्टी, लोकजनशक्ति पार्टी के साथ ही बहुजन समाज पार्टी, असम गण परिषद, शिवसेना (शिंदे) गुट आदि ने समर्थन किया है। वहीं इसका मुखर विरोध इंडी अलायन्स की प्रमुख पार्टी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी तथा सीपीएम समेत 15 दल कर रहे हैं। जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) समेत 15 दलों ने वन नेशन वन इलेक्शन पर अभी कोई जवाब नहीं दिया और तटस्थ रुख अपनाया है।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के समर्थन मैं जहाँ विभिन्न लोगों ने इसे देश के लिए एक सुधारात्मक कदम बताया वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसकी व्यावहारिकता पर सवाल उठाते हुए सिर्फ ध्यान भटकाने का भाजपाई मुद्दा बताया, वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने इसे यह संघवाद को खत्म करने वाला प्रस्ताव तो कहा। अब इस मुद्दे पर देश मैं आगे और क्या बहस छिड़ती है ये देखना दिलचस्प होगा।
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