जापान (Japan) के वैज्ञानिकों ने ऐसी खोज कर ली है जिसके बाजार में आते ही चीन (China) की लुटिया डूबना तय है। अभी तक इलेक्ट्रिक वाहनों एवं बैटरी बाजार के बड़े हिस्से पर चीन का दबदबा है। जापानियों के इस आविष्कार से चीनियों की नींद हराम हो गई है।
जापान ने बायोमीथेन से चलने वाला इंजन बनाकर ऑटोमोबाइल क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज कर दिया है।जापानी वैज्ञानिकों के मुताबिक वर्ष 2026 में लॉन्च हो जायेंगे बायोमीथेन से चलने वाले वाहन।
जिस प्रकार की तकनीकि क्रांति आज चल रही है उससे आने वाले समय मैं कुछ भी संभव है और इसी कड़ी मैं जापान ने एक कदम आगे बढ़ते हुए पारंपरिक और इलेक्ट्रिक वाहनों से हटकर महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देते हुए दुनिया का पहला बायोमीथेन इंजन पेश किया है। टोयोटा, सुजुकी और निसान द्वारा विकसित, यह बायोफ्यूल आधारित इंजन कृषि अपशिष्ट से प्राप्त बायोमीथेन का उपयोग करता है, जो इसे एक स्वच्छ विकल्प के रूप में पेश करता है।
सुजुकी के वैगनआर जैसे बायोमीथेन-ईंधन वाले इंजन, काफी कम उत्सर्जन के साथ गैसोलिन कारों के बराबर प्रदर्शन का वादा करते हैं।
2026 तक पहली बायोमीथेन-संचालित कारों को लॉन्च करने की योजना के साथ, जापान का लक्ष्य ईवी और हाइड्रोजन-संचालित वाहनों के प्रभुत्व को चुनौती देते हुए टिकाऊ ईंधन प्रौद्योगिकी में नेतृत्व करना है।
अगर ये प्रयोग सफल होता है तो वहां तकनीक मैं ये एक प्रभावकारी कदम साबित होगा जो न सिर्फ कार्बन उत्सर्जन को काम करने मैं मदद करेगा बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के अति इस्तेमाल पर रोक भी लगायेगा।
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