
90 के दशक की मशहूर अदाकारा और बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने हाल ही में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर का पद ग्रहण किया है। इस अवसर पर उन्होंने संगम में स्नान कर गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने की घोषणा की और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उनका पट्टाभिषेक संपन्न हुआ। साथ ही उन्हें नया नाम यमाई ममता नंद गिरि दिया गया।
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया:
ममता कुलकर्णी ने गंगा में डुबकी लगाकर पिंडदान किया, जो अपने पूर्व जीवन को त्यागने का प्रतीक है। इसके बाद, किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां की उपस्थिति में, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। अब
किन्नर अखाड़ा और उसकी भूमिका:
किन्नर अखाड़ा भारत का पहला आधिकारिक किन्नर संप्रदाय है, जो किन्नर समुदाय के आध्यात्मिक और सामाजिक उत्थान के लिए कार्यरत है। महामंडलेश्वर के रूप में, ममता कुलकर्णी का उद्देश्य समाज में किन्नर समुदाय के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनकी स्थिति में सुधार लाना होगा।
ममता कुलकर्णी का फिल्मी सफर:
1990 के दशक में ममता कुलकर्णी ने “आशिक आवारा”, “करण अर्जुन” और “सबसे बड़ा खिलाड़ी” जैसी फिल्मों में अभिनय कर प्रसिद्धि हासिल की। बाद में, उन्होंने फिल्म उद्योग से दूरी बना ली और आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर हुईं।
ममता कुलकर्णी का विवादों से नाता
सालों पहले अपने चलते करियर को छोड़ मायानगरी से गायब हुयी ममता कुलकर्णी का विवादों से गहरा नाता रहा है, चाहे बात बोल्ड अंदाज की हो या फिर 1993 मैं एक मैगज़ीन के लिए उनका टॉपलेस फोटोशूट, ममता कुलकर्णी हमेशा चर्चा मैं बनी रहती थी। साथ ही उनपर आरोप लगते रहे हैं कि उनका कनेक्शन अंडरवर्ल्ड से रहा जिसकी वजह से उन्हें फिल्में मिलती थी। और अंततः ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी के साथ रिश्ते मैं जुड़ने के बाद वो बॉलीवुड से ओझल हो कर दुबई बस गयी। वर्ष 2016 में मुंबई पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के एक मामले में उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट भी जारी किया था।
समाज की प्रतिक्रिया:
ममता कुलकर्णी के इस निर्णय ने समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। कुछ लोग उनके इस कदम की सराहना कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे आश्चर्यजनक मान रहे हैं। फिर भी, यह कदम किन्नर समुदाय के प्रति समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक हो सकता है।
ममता कुलकर्णी का यह आध्यात्मिक सफर न केवल उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, बल्कि किन्नर समुदाय के लिए भी प्रेरणादायक है। उनकी नई भूमिका से समाज में किन्नर समुदाय की स्वीकृति और सम्मान में वृद्धि की उम्मीद की जा रही
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