प्रेस विज्ञप्ति, स्वतंत्रता दिवस का जश्न अभी पूरा भी नहीं हुआ पर इससे पहले ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने नवीनतम ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट “EOS-08” को आज सुबह 9:17 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी)-डी3 द्वारा लांच कर देशवासियों को गर्वित होने का एक और मौका दे दिया।
ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्य हैं:
- माइक्रोसैटेलाइट का डिजाइन और विकास करना,
- माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ सृजित पेलोड उपकरणों का निर्माण करना,
- भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को शामिल करना है।
माइक्रोसैट/आईएमएस-1 बस पर निर्मित, ईओएस-08 तीन पेलोड ले जाता है: इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R), और एसआईसी यूवी डोसिमीटर।
1. EOIR पेलोड: को उपग्रह-आधारित निगरानी, आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी, आग का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन और औद्योगिक और बिजली संयंत्र आपदा निगरानी जैसे अनुप्रयोगों के लिए दिन-रात मिड-वेव आईआर (एमआईआर) और लॉन्ग-वेव आईआर (एलडब्ल्यूआईआर) बैंड में इमेज को प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
3. GNSS-R पेलोड: समुद्री सतह वायु विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, हिमालयी क्षेत्र में क्रायोस्फीयर अध्ययन, बाढ़ का पता लगाने और अंतर्देशीय जल निकायों का पता लगाने जैसे अनुप्रयोगों के लिए जीएनएसएस-आर-आधारित रिमोट सेंसिंग का उपयोग करने की क्षमता प्रदर्शित करता है।
3. एसआईसी यूवी डोसिमीटर: गगनयान मिशन में क्रू मॉड्यूल के व्यूपोर्ट पर यूवी विकिरण की निगरानी करता है और गामा विकिरण के लिए हाई डोज अलार्म सेंसर के रूप में कार्य करता है।
क्या होगा फायदा:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का यह मिशन भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए खास है। इसकी सफलता से भारत धरती पर होने वाली किसी भी प्राकर्तिक आपदा जैसे सुनामी, भूकंप, बाढ़, हिमालय मैं होने वाली कोई हलचल या ज्वालामुखियों का अधययन आदि तमाम जानकारियां जुटाकर कर पहले से ही सबको सचेत कर देगा। इसकी मदद से हम पर्यावरण मैं होने वाले किसी भी बदलाव का पहले ही पता लगाकर उससे होने वाले नुकसान को कम कर पाएंगे। आने वाले दिनों मैं ISRO का ये प्रयास सबके लिए बड़ा दूरगामी होगा।
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