रक्षाबंधन (Rakshabandhan): भाई-बहन के अटूट बंधन का पवित्र त्यौहार, जानें कब है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त ?

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  • Post last modified:September 2, 2024
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रक्षाबंधन (Rakshabandhan)

रक्षाबंधन (Rakshabandhan), एक ऐसा पर्व जो भारत के हर कोने में भाई-बहन के रिश्ते की मिठास को और भी गहरा करता है। हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह त्योहार हमारे सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को और भी मजबूती प्रदान करता है।

जब भी रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का जिक्र होता है, तो सबसे पहले आँखों के सामने वो दृश्य आता है, जब बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम की डोरी, जिसे हम राखी कहते हैं, बाँधती हैं। ये राखी केवल एक धागा न होकर, उन भावनाओं का प्रतीक है जो बहन अपने भाई के प्रति रखती है। ये एक सुरक्षा का वचन है, जो भाई अपनी बहन को देता है।

कब है रक्षाबंधन (Rakshabandhan):

हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाएगा। अगर सरल भाषा मैं समझें तो 19 अगस्त 2024 को रक्षाबंधन (Rakshabandhan) मनाया जाएगा। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 19 अगस्त को प्रातः 03:04 शुरू होगा और इसका समापन 19 अगस्त को मध्य रात्रि 11:55 पर समाप्त होगा।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त:

शुभ मुहूर्त दोपहर 01:30 से शुरू होकर रात्रि 09:07 तक रहेगाजो तक़रीन 07 घंटे 37 मिनट का होगा।

कब रहेगा भद्राकाल:

पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ के साथ भद्रा की शुरुआत होगी जो 19 अगस्त 2024 को दोपहर 1:30 पर समाप्त होगा।

क्यों भद्राकाल में नहीं बांधी जाती है राखी:

भद्राकाल को शुभ नहीं माना जाता है, मान्यताओं के अनुसार इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है, जिसमें राखी बांधना भी शामिल है। राखी बांधना एक पवित्र कार्य है और इसे शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। भद्राकाल में राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में तनाव आ सकता है और मनोकामनाएं पूरी नहीं हो सकती हैं। इसलिए, रक्षा बंधन का त्योहार मनाते समय भद्राकाल का ध्यान रखना चाहिए और राखी केवल शुभ मुहूर्त में ही बांधनी चाहिए।

कौन है भद्रा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं। भद्रा का स्वभाव क्रोधी है। जब भद्रा का जन्म हुआ तो वह जन्म लेने के फौरन बाद ही पूरे सृष्टि को अपना निवाला बनाने लगी थीं। इस तरह से भद्रा के कारण जहां भी शुभ और मांगलिक कार्य, यज्ञ और अनुष्ठान होते वहां समस्याएं आने लगती हैं। इस कारण से जब भद्रा लगती है तब किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत आधा हिस्सा भद्रा काल होता है। यही वजह है कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया होने के कारण राखी नहीं बांधी जाती है।


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