न्यूज डेस्क, स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन के साथ ही देश में फेस्टिव सीजन की शुरुआत हो जाती है. इस दौरान ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनियों की बिक्री में इजाफा होने लगता है और यह साल के अंत तक रहता है. पर अगर फेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) की मानें तो इस समय इन्वेंटरी बढ़ती जा रही है और देश मैं कारों की बिक्री कम हो रही है
फेडरेशन ने कहा है कि देश में डीलरों के पास कारों की इन्वेंटरी 7 लाख के आस पास हो गई है. यह वो कारें हैं जो नहीं बिकी हैं और डीलरशिप पर खड़ी हैं. फाडा का कहना है कि दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार मार्केट के लिए यह चिंता का विषय है. फेस्टिव सीजन होने के बावजूद लोग गाड़ियां कम खरीद रहे हैं जिससे डीलरों की इन्वेंटरी बढ़ रही है और उन्हें नुकसान हो रहा है.
ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक यह स्टॉक लगभग दो महीने से भी ज्यादा का है. मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार 30 दिनों की इन्वेंटरी को सामान्य माना जाता है, लेकिन मौजूदा स्थित में इन्वेंटरी करीब 60-70 दिनों तक पहुंच गई है. ऐसे में डीलरों के ऊपर इन कारों को मेंटेन करने का खर्च बढ़ रहा है. डीलरों के पास स्टॉक लेवल बढ़ता देख कुछ कार कंपनियों ने अपना प्रोडक्शन धीमा कर दिया है.
डीलर्स के यहाँ खड़ी हैं 7 लाख कारें.
रिपोर्ट्स के अनुसार, देशभर के डीलरशिप पर 7 लाख कारें खड़ी हैं जिनकी कुल वैल्यू तकरीबन 73,000 करोड़ रुपये है. फाडा का कहना है कि अगर यह स्थिति ज्यादा समय तक बरकरार रही है तो डीलरों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. डीलरों को अपने स्टॉक यार्ड में खड़ी कारों के रखरखाव में हर महीने लाखों रुपये का खर्च उठाना पड़ता है. इसके अलावा कारों के ऊपर लोन और स्पेस के लिए किराए का भुगतान भी समय पर करना होता है. अगर मार्केट में डिमांड कम रही तो तो इससे सीधा नुकसान डीलरों का होगा.
FADA का कहना है कि यह जुलाई 2024 की शुरुआत में कारों की इन्वेंटरी 65-67 दिनों से बढ़कर आज की तारीख में लगभग 70-75 दिनों की हो गई है. डीलरों के पास वर्तमान में लगभग 7,30,000 वाहन खड़े हैं, जो लगभग 2 महीने की बिक्री के बराबर है. हालांकि, भारतीय ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (SIAM) का अनुमान है कि यह आंकड़ा लगभग 4,00,000 यूनिट्स कारों का है. वाहन निर्माता उत्पादन को कम करके और बेहतर इन्वेंट्री मैनेजमेंट के लिए सेल्स नेटवर्क को बढ़ा सकते हैं.
मिल रहा है भारी डिस्काउंट.
इस समय ज्यादातर कार कंपनियां अपने वाहनों पर भारी डिस्काउंट दे रही है. टाटा मोटर्स अपनी सफारी, हैरियर और यहां तक नेक्सॉन पर लाखों रुपये की छूट दे रहा है. वहीं हुंडई भी अपने वेन्यू और एक्सटर जैसे मॉडलों पर इस महीने डिस्काउंट ऑफर कर रहा है. जीप इंडिया तो अपने ग्रैंड चेरोकी मॉडल पर पूरे 12 लाख रुपये का डिस्काउंट दे रही है. अब इसकी शुरुआती कीमत अब 68.50 लाख रुपये हो गई है. पहले इसकी कीमत 80.50 लाख रुपये हुआ करती थी.
क्या कारण हैं कम बिकवाली के ?
ऑटो एक्सपर्ट्स वाहनों की बिक्री कम होने के कई कारण बता रहे हैं. देश में पिछले कुछ महीने चली भीषण गर्मी और उसके बाद कुछ राज्यों में भारी बारिश के वजह से बिक्री सुस्त पड़ गई. वहीं लोग आगामी फेस्टिव सीजन में अच्छे डिस्काउंट मिलने के इंतजार में अभी गाड़ियां कम खरीद रहे हैं.
जुलाई 2024 में महिंद्रा, किआ और टोयोटा को छोड़ दें तो ज्यादातर कार कंपनियों ने बिक्री में गिरावट दर्ज की है. मारुति सुजुकी की जुलाई में बिक्री पिछले साल के जुलाई की तुलना में तकरीबन 9.65% कम थी. वहीं हुंडई, टाटा मोटर्स और होंडा ने भी गिरावट दर्ज की है. टाटा मोटर्स के इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में भी भारी गिरावट देखी गई है. अप्रैल-जून की तिमाही में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में साल-दर-साल 7% की गिरावट देखी गई है. वहीं EV सेग्मेंट की लीडर कही जाने वाली टाटा मोटर्स की बिक्री बीते जुलाई में 21% तक गिर गई है.
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