बांग्लादेश (Bangladesh) हिंसा की आग में सुलग रहा है, PM हाउस मैं हजारों प्रदर्शनकारी घुसे। शेख हसीना ने दिया इस्तीफ़ा, सेना ने संभाली कमान।
हाल ही मैं सरकारी नौकरियों में आरक्षण कोटा को लेकर बांग्लादेश मैं विवाद इतना गहरा गया है कि वहां की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा है, इतना ही नहीं प्राप्त जानकारी के अनुसार शेख हसीना ने ढाका छोड़ दिया है और वो भारत के लिए रवाना हो गयी हैं।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच भड़की भयंकर हिंसा में अब तक 300 लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग घायल हुए हैं।
बांग्लादेश में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पूरे देश में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही पुलिस कि जगह अब सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। देश में इंटरनेट सेवा पर बैन लगा हुआ है और दंगाइयों को देखते ही गोली मरने के आदेश हैं।
बांग्लादेश में फैली इस देशव्यापी हिंसा का प्रमुख कारण वहां पर सरकारी नौकरियों को लेकर आरक्षण कानून का प्रावधान है। बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के तहत 56 फीसदी सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं।
इन नौकरियां में से 30 फीसदी आरक्षण साल 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा 10 फीसदी आरक्षण पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए और 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षण रिजर्व है। इसके अलावा पांच प्रतिशत आरक्षण जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत दिव्यांग लोगों के लिए आरक्षित है।
बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की कोटा प्रणाली को लेकर पिछले महीने हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। जैसे-जैसे यह प्रदर्शन तेज होता गया, सुप्रीम कोर्ट ने कोटा घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, जिसमें से 3 प्रतिशत सेनानियों के रिश्तेदारों को दिया गया।
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