पाकिस्तान में घबराहट, क्या प्यासे मरेंगे पाकिस्तानी?

आपको याद होगा उरी हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था ” पानी और खून समानांतर नहीं बह सकते” यही वो बात है जिसने पाकिस्तानी हुक्मरानों की पेशानी पर बल डाल दिया है। इसका जब गहन अध्ययन किया तो सामने आई 1960 की इंडस वाटर ट्रीटी (IWT)
असल मे ये ट्रीटी 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच जल के बंटवारे को लेकर हुई संधि है। इस संधि के अनुसार रावी, व्यास और सतलज का पानी भारत के हिस्से में आया जबकि सिंधु, झेलम और चिनाव का पाकिस्तान के हिस्से में। इस समझौते की शर्तों के अनुसार पाकिस्तान के हिस्से में आने वाली नदियों का पानी भारत नहीं रोक सकता। अब जबकि अपने हिस्से की तीन नदियों का कुल 80 प्रतिशत पानी ही भारत इस्तेमाल में ले पा रहा है शेष भी पाकिस्तान बह कर चला जाता है। अतिशयोक्ति नहीं है कि इस पानी के सहारे ही पूरा पाकिस्तान जिंदा है। मोदी सरकार ने इस दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए कई बड़ी परियोजनाओं पर युद्धस्तर पर काम शुरू करवा दिया है और 1960 से ठंडे बस्ते में सड़ रही परियोजनाओं को मात्र कुछ ही हफ्तों में सभी प्रकार की आपत्तियों से मुक्त कर धन आवंटन भी कर दिया है। इन परियोजनाओं पर भारत की गति और इरादों से पाक बुरी तरह बौखला गया है और पाकिस्तानियों में प्यासे मर जाने की दहशत भी व्याप्त हो गई है।
तीन बड़े प्रोजेक्ट तो 2022 तक पूर्ण भी हो जाएंगे जिनमे 1000 मेगावाट की पाकल परियोजना,540 मेगावाट की क्वार योजना और 624 मेगावाट की किरु योजना मुख्य हैं। पंजाब में सतलज-व्यास लिंक, शाहपुर कांडी बांध और 212 मेगावाट का उझ बांध भी भारत के मजबूत इरादों को जाहिर करता है। 1856 मेगावाट की सांवलकोट परयोजना, 800 मेगावाट की बुरसर परियोजना जिसे राष्ट्रीय परियोजना भी घोषित किया गया है पर काम शुरू हो गया है। इसके अलावा दो और बड़े प्रोजेक्ट किरथई 1 व किरथई 2 क्रमशः 390 व 930 मेगावाट भी भारत की ऊर्जा जरूरतों और सिंचाई योजनाओं में बड़ा योगदान पेश करेंगी। इन सभी परियोजनाओं को समय से पूरा करने को सरकार फास्टट्रैक मोड़ में नजर आ रही है। बता दें कि सांवलकोट और किरथई प्रोजेक्ट 1960 से सरकारी फाइलों में धूल फांक रहे थे।
इस सब से भयभीत और भारत के बढ़े हुए कद से परेशान पाकिस्तान बार-2 जल समझौते की दुहाई देकर विभिन्न मंचों पर अपना दुखड़ा रो रहा है किंतु भारत नियमानुसार अपना कार्य कर रहा है सो पाक की कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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